MLM के प्रकार: Binary, Generation, Matrix, Unilevel, Hybrid

हमने अभी तक डायरेक्ट सेलिंग पर बहुत सारी पोस्ट लिखी है, जिसमें MLM क्या है? से लेकर MLM मेंं सफल कैसे हो? ये भी शामिल है।

इस लेख मेंं हम MLM प्लान के प्रकार को समझेंगे। जिसके बारे मेंं हर एक MLM से जुड़े व्यक्ति को पता होना चाहिए, जिससे एक अच्छी MLM कंपनी चुनने मेंं मदद मिलेगी।


MLM संरचना (MLM Structure in Hindi), MLM के प्रकार (Types of MLM in Hindi), और बाईनरी व मैट्रिक्स प्लान क्या है? (Binary & Matrix Plan in Hindi) इन्ही प्रमुख सवालों का जवाब आपको इस पोस्ट में मिलने वाला है।

MLM के प्रकार

ऐसे तो बहुत से MLM प्लान मौजूद है, लेकिन कुछ ही MLM प्लान प्रकार है, जो हमारे देश में बड़ी MLM कमानियां उपयोग करती है।

हम निम्न MLM प्लान के प्रकार को इस लेख मेंं समझेंगे।



  • Binary Plan
  • Matrix Plan
  • Unilevel Plan
  • Generation Plan
  • Hybrid Plan
  • Breakaway Plan

1. Binary Plan

आपको बाइनरी शब्द मेंं ही इस प्लान का मतलब समझ आ जाएगा। बाइनरी प्लान भारत में मौजूद बहुत सी MLM कंपनियों द्वारा अपनाया गया है। इसकी शुरुआत 80 के दशक मेंं हुई थी और 90 के दशक मेंं बाइनरी प्लान सबसे ज्यादा अपनाया हुआ प्लान बन चुका था।

binary plan

भारत में सन 2000 के बाद इसकी लोकप्रियता एकदम से बढ़ गयी थी, क्योंकि “दो जोड़ों और लाखों कमाओ“, ऐसे वाक्यो द्वारा इसका प्रचार होता था।

बाइनरी प्लान मेंं टॉप पर एक लीडर होता है, जो अपने निचे दो लोगो को जोड़ता है। अब वे दो लोग भी अन्य दो लोगो को अपने निचे जोड़ते है, जिससे कंपनी का विस्तारन्तरण होता है।

इसी तरह से जब किसी कंपनी के प्लान से लोग जुड़ते जाते है, तो इसकी गहराई बढ़ती है। बाइनरी प्लान को ही पिरामिड प्लान भी कहते है, क्योंकि यह पिरामिड बनाता है।

याद रहे पिरामिड स्कीम अलग होती है, जो किसी भी MLM प्लान का उपयोग कर सकती है, लेकिन यह बाइनरी प्लान का अधिक करती है और फ्रॉड करती है, उदाहरण के लिए eBiz



बाइनरी प्लान के भी अलग-अलग प्रकार है, इसमें अक्सर मेचिंग (पेयर बनाने) पर इनकम होती है। यह मेचिंग 1:1 और 2:1 या 1:2 अनुपात पर गिनी जा सकती है।

बाइनरी प्लान को हेल्पिंग प्लान भी कह सकते है, क्योंकि इसमें अपलाइन से भी जॉइनिंग मिल सकती है। लेकिन आज के समय में लोग Tripod और एक साथ बहुत सारी ID खुदकी लगाते है, जिससे डाउनलाइन को मदद नहीं मिलती है।

2. Matrix Plan

मैट्रिक्स प्लान बाइनरी प्लान से थोड़ा अलग है। इसमें MLM की संरचना सीमित की जाती है, यानि इसकी गहराई और लंबाई की सीमा कंपनी पहले से तय करके रखती है।

matrix plan

उदाहरण जैसे, आप अपने नीचे 4 लोगों को ही जोड़ सकते है और आपको 5 लेवल नीचे की डाउनलाइन से ही इनकम मिलेगी। इससे कंपनी पेयआउट पर लिमिट लगा सकती है।

मैट्रिक्स का फायदा यह है, कि बाइनरी की तुलना में आप ज्यादा डायरेक्ट डाउनलाइन बना सकते है। लेकिन इस प्लान को समझना मुश्किल है, क्योंकि कई कंपनिया इसका उपयोग बहुत सारे लेवल, रेंक, PV BV के साथ करती है अन्यथा यह प्लान पारदर्शकता रखता है।



3. Unilevel Plan

मैट्रिक्स और बाइनरी के बाद तीसरे प्रकार के MLM प्लान को यूनिलेेवल कहा जाता है। अंग्रेजी मेंं “UNI” का मतलब एक होता है और “LEVEL” का मतलब स्तर।

unilevel plan

इससे साफ पता चलता है, कि यह प्लान आपके नीचे सिर्फ एक स्तर (लेवल) पर चलता है। इसमें आप असीमित लोग डायरेक्ट डाउनलाइन में लगा सकते है और आपकी डाउनलाइन में मौजूद लोग अपने नीच और लोग लगाएंगे।

इस तरह के MLM प्लान काफी आसान होते है। यहाँ आपको अपने साथ नए लोगो को जोड़ना है और प्रॉफिट कमाना है। लेकिन इसमें आपको अपलाइन से एक भी जॉइनिंग नहीं मिलती है और खुदकी पूरी टीम तैयार करनी होती है। जिससे कई बार नए डायरेक्ट सेलर इसमें सफल नहीं हो पाते।

3. Breakaway Plan

ब्रेक-अवे प्लान अन्य प्लान से थोड़ा अलग है। ब्रेक-अवे प्लान की शुरुवात तब होती है, जब कंपनी मेंं मेंंबर की संख्या बहुत ज्यादा हो जाती है। इसमेंं पहले स्टैर-केस मेंथड से कंपनी के मेंंबर पर विवरण के लिए इन्फोग्राफिक बनाया जाता है। फिर हर स्टैर से मेंंबर को अलग (ब्रेक) किया जाता है। इसमें ऊपरी स्तर के मेंंबर को पहले अलग किया जाता है।

breakaway mlm plan

उन्हें Upline से हटाकर कंपनी के लिए कुछ उपाधि और शेयर दिए जाते है। जिससे उनकी इनकम मेंं कुछ बढ़ोतरी हो जाती है और नए स्तर बनाये जाते है।



Breakaway प्लान का फायदा है, कि इससे सीनियर और पुराने मेंंबर का प्रमोशन होता है। वहीं इससे से नए जुड़ने वाले मेंंबर को भी प्रोतसाहन मिलता है।

Breakaway प्लान से टीमवर्क कम होता है। क्योंकि डिस्ट्रीब्यूटर लाइन से अलग हो जाते है। यह MLM प्लान लंबे समय के लिए सही नहीं है, इसलिए इसे बहुत कम कंपनिया अपनाती है।

4. Generation Plan

जनरेशन प्लान अभी के समय में सबसे प्रचलित MLM प्लान है। भारत की कई बड़ी कंपनियां इसी प्लान पर आधारित है। जनरेशन प्लान को रिपर्चेस (Repurchase) प्लान भी कहती है, क्योकि इसमें नियमित प्रॉडक्ट खरीद की जरूरत पड़ती है। जिसे लोग इसकी कमी भी मानते है।

जनरेशन प्लान में डाउनलाइन की लंबाई और गहराई कंपनी खुद तय करती है।

जनरेशन प्लान में Differential Plan का उपयोग भी होता है, जिसमें प्रॉफिट डाउनलाइन के कमीशन प्रतिशत में से घटकर मिलता है। जैसे अगर कोई 10% लेवल पर है और उसकी डाउनलाइन 4% लेवल पर है, तो10% में से 4% घटाकर बचा 6% कमीशन मिलता है।



जनरेशन में आप बहुत सारी डाउनलाइन एक साथ लगा सकते है और इसमें रैंक व लेवल सिस्टम का उपयोग होता है।

इन रैंक और लेवल के लिए PV BV का उपयोग होता है, जिसमें खुदकी और डाउनलाइन की PV BV करने के कुछ टारगेट होते है और उसके अनुसार इनकम मिलती है।

5. Hybrid Plan

हाइब्रिड प्लान दो या दो से अधिक अन्य MLM प्लान का मिश्रण होता है। इसमें कंपनी अपने अनुसार प्लान बनाती है, जैसे 3 लेग बाइनरी प्लान, जनरेशन-कम-मैट्रिक्स प्लान आदि।

हाइब्रिड प्लान में कंपनी अलग-अलग प्लान की विशेषता का उपयोग करके स्वयं का कंपनसेशन मॉडल बनाती है। लेकिन इसमें कई बार कंपनीया बहुत ज्यादा कठिन हाइब्रिड प्लान बना देती है, जिससे आम डायरेक्ट सेलर को वास्तविक प्लान कभी समझ नहीं आता है।

निष्कर्ष

हमें उम्मीद है, कि आपको इस पोस्ट से MLM प्लान के प्रकार के अलग-अलग प्लान समझ आ गए होगे।



अक्सर डायरेक्ट सेलर खुदकी कंपनी के प्रचार के लिए दूसरे MLM प्लान को बुरा कहते है, जबकि हर एक Binary, Generaton, Matrix, Unilevel सबकी अपनी खूबी और खामी है। वही हर कंपनी MLM प्लान को अलग तरीके से उपयोग करती है, इसलिए सिर्फ प्लान को देखर फैसला नहीं कर सकते है। इसलिए MLM Product का ज्ञात होना बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि पहले अच्छे प्रॉडक्ट जरूरी है और फिर उसके बाद प्लान।

अगर आपका कोई भी सवाल या सुझाव है, तो हमेंं कमेंंट मेंं जरूर बताएं।

11 thoughts on “MLM के प्रकार: Binary, Generation, Matrix, Unilevel, Hybrid”

  1. Sir kis plan wali company main kaam karna faayademand hoga
    Mujhe bhi or mai jinko Apne niche
    Lagata hu unke liye bhi faayademand rahe

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  2. Sir jo product market me phle se sell ho rhe he kya hm esa nhi kr skte hi ki hm khud ki company bnakr unko apni company me sell kre

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  3. Aap company ke sabhi website per jao..aur unke product ki quality aur price dekho. Unme se jo best hoti hai us company ko select kar company award aur certificate cheak kar. Agar sab thik hota hai. To join kar lo.

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